Monday 19 January 2015

यादें
ओस की झिलमिल बूंदों जैसी
उजली होती मीठी यादें
मंा के गोद में चेन की नीदें
जैसा अनुभव देती यादें
दीवारों की वीरानी में
जान सी भर देती है यादें
जीवन की इस नीरसता को
पल में रस से भरती यादें
दिल के बुझते अरमानों को
जिन्दा कर देती हैं यादें
तितली जैसी चंचल चितवल
रंग विरंगी होती यादें
जब भी आती लहरों जैसी
आखों को भिगोती यादें
चंदा जैसी शीतलता ले
दिल को शीतल करती यादें
जीने का मतलब सिखलाती
सबक सिखाने आती यादें
कुछ खट्टी कुछ मीठी होती
कुछ तो कुछ ना होती यादें
कभी हॅंसाती कभी रूलाती
खुद से बात कराती यादें
जब आती हैं धीरे धीरे
सर सा सहलाती है यादें
कुछ यादों को भूलना चाहें
कुछ भूलें बतलाती यादें
जीवन के हर मोड से होकर
चौराहों पर लाती यादें
सरसों के खेतों के जैसे
चादर एक विछाती यादें
कामयाबी की इस मंजिल का
नींव का पत्थर जैसी यादें
कैसे पहुंचे इस मंजिल पर
नम अंाखों से बतलाती यादें
धडकन जैसे सबके दिल में
घर बना कर रहती यादें
कुछ उथली कुछ दब जाती हैं
कुछ तो दवाई जाती यादें
नानी के उस प्यार के जैसे
दिल को सहलाती हैं यादें
घर के दरखे कोनों से भी
हॅंसती हैं बचपन की यादें
बच्चों की बोली में घुलती
मिसरी सी मीठें हैं यादें
सूरज की पहली किरणों सी
तम को दूर भगाती यादें
पलभर का मिलना हो फिर भी

रिश्ता बडा बनाती यादें ।

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