Thursday 2 April 2020

लॉक डाउन

कुछ ही दिन तो हुए लॉक डाउन के
लगा जैसे अर्सा हुआ बाहर निकले 
अब तो रूह सी फड़फड़ा रही है 
दिन निकल जाता है बिस्तर पर 
ये सोचते कि जल्द निकालूँगा 
यहां जाऊँगा वहाँ जाऊँगा 
ये करूंगा वो करूंगा 
आज खयाल आया 
कैसे रहते हैं वो 
तमाम उम्र निकलती है जिनकी 
लॉक डाउन में 
हर गाँव में, हर कस्बे में 
हर शहर में, हर घर में 
कोई ना कोई रहता ही है 
इन बंदिशों में 
ना उन्हें अह्सास रहता है 
या आदत पड़ जाती है 
ना हम चाहते हैं 
उन्हें आशाएं देना 
कि बस कुछ दिन और बचे हैं. 


No comments:

Post a Comment

लॉक डाउन

कुछ ही दिन तो हुए लॉक डाउन के लगा जैसे अर्सा हुआ बाहर निकले  अब तो रूह सी फड़फड़ा रही है  दिन निकल जाता है बिस्तर पर  ये सोचते कि जल्द निकाल...