Sunday 31 December 2017

क्या उसने कहा था
की जब न हो साथ ज़माने का
और न बने बात मनाने से
तो तुम उसे छोड़ देना
क्या उसने कहा था कि
बेशर्त प्यार है
कोई चाह नहीं
सिर्फ इसीलिए, मजबूरी हो
तो ये रास्ता देख लेना
तुम उसे छोड़ देना
क्या उसने कहा था
की इन्तजार सिर्फ मैं करुँगी
तुम्हारे आने तक
उस चौराहे पर बैठे हुए
तुम आकर एकदम नजदीक
उस पगडण्डी के परे, होकर खड़े
हाथ हिलाकर मुझे
जाने के लिए बोल देना
तुम उसे छोड़ देना
क्या उसने कहा था
बेइंतहा प्यार सिर्फ प्यार है
नहीं चाहता कोई शक्ल
कोई रिश्ता कोई आकार
या की ये बहाना है
चाहते नहीं तुम
ज़माने की मंशाओं को तोड़ देना
क्या उसने कहा था
की तुम उसे छोड़ देना  

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